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श्रीवरुणकृतं श्रीमद् हालास्याष्टकम् - Halasya Stuti Varuna Kruta Halasyashatakam

हालास्य स्तुति 

कल्याणशैल-परिकल्पित-कार्मुकाय 
मौर्वीकृताखिल-महोरग-नायकाय।
पृथ्वीरथाय कमलापतिसायकाय 
हालास्यमध्यनिलयाय नमश्शिवाय॥ १ ॥

भक्तार्तिभञ्जनपराय परात्पराय 
कालाभ्रकान्ति-गरलाङ्कित-कन्धराय।
भूतेश्वराय भुवनत्रयकारणाय 
हालास्यमध्यनिलयाय नमश्शिवाय॥ २ ॥

भूदारमूर्ति-हरिमृग्य-पदाम्बुजाय 
हंसाब्जसम्भवसुदूर सुमस्तकाय। 
ज्योतिर्मय-स्फुरितदिव्य-वपुर्धराय 
हालास्यमध्यनिलयाय नमश्शिवाय॥ ३ ॥

कादम्बकानन-निवास-कुतूहलाय 
कान्तार्धभाग-कमनीय-कलेबराय।
कालान्तकाय करुणामृतसागराय 
हालास्यमध्यनिलयाय नमश्शिवाय॥ ४ ॥

विश्वेश्वराय विबुधेश्वरपूजिताय 
विद्याविशिष्ट-विदितात्म-सुवैभवाय। 
विद्याप्रदाय विमलेन्द्रविमानगाय 
हालास्यमध्यनिलयाय नमश्शिवाय॥ ५ ॥

सम्पत्प्रदाय सकलागममस्तकेषु 
सङ्घोषितात्मविभवाय सदाशिवाय। 
सर्वात्मने सकलदु:ख समूलहन्त्रे 
हालास्यमध्यनिलयाय नमश्शिवाय॥ ६ ॥

गङ्गाधराय गरुडध्वजवन्दिताय 
गण्डस्फुरद्-भुजग-कुण्डलमण्डिताय। 
गन्धर्व-किन्नर-सुगीत-गुणाधिकाय 
हालास्यमध्यनिलयाय नमश्शिवाय॥ ७ ॥

पाणिं प्रगृह्य मलयध्वज-भूपपुत्र्या: 
पाण्ड्येश्वरः स्वयमभूत्परमेश्वरो यः।
तस्मै जगत्प्रथित-सुन्दरपाण्ड्य-नाम्ने 
हालास्यमध्यनिलयाय नमश्शिवाय॥ ८ ॥

गीर्वाणदेशिकगिरामपि दूरगं यत् 
वक्तुं महत्त्वमिह को भवत: प्रवीणः।
शम्भो क्षमस्व भगवच्छरणारविन्द-
भक्त्या कृतां स्तुतिमिमां मम सुन्दरेश॥ ९ ॥

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