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श्री सङ्घकविभि: कृत श्रीमन् मीनाक्षी सुन्दरेश्वर स्तुतिः

हालास्य स्तुति 

पितामह-शिरच्छेद-चणपाणि-नखाञ्चल। 
नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं महेश्वर॥ १ ॥

निशुम्भ-शुम्भप्रमुख-दैत्यशिक्षण-दक्षिणे। 
नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं महेश्वरि॥ २ ॥

शैलराजस्य जामातः शशिरेखावतंसक। 
नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं महेश्वर॥ ३ ॥

शैलराजात्मजे मातः शातकुम्भ-निभप्रभे। 
नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं महेश्वरि॥ ४ ॥

भूतनाथपुराराते भुजङ्गकृतभूषण। 
नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं महेश्वर॥ ५ ॥

पादप्रवणभक्तानां पारिजातगुणाधिके। 
नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं महेश्वरि॥ ६ ॥

हालाश्येश दयामूर्ते हालाहल-लसद्गळ। 
नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं महेश्वर॥ ७ ॥

नितम्बिनि महेशस्य कदम्बवननायिके। 
नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं महेश्वरि॥ ८ ॥
 

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